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डॉ. आंबेडकर नगर(महू). बीआर आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विवि द्वारा रविवार को महात्मा ज्योतिबा फुले पीठ
द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार राष्ट्र के सामाजिक उत्थान में महात्मा ज्योतिबा फुले का योगदान विषय पर आयोजित
किया गया। इसमें विवि कुलपति प्रो. आशा शुक्ला ने कहा कि सावित्री बाई फुले का स्मरण किए बिना ज्योतिबा फुले
का स्मरण अधूरा रह जाता है। उन्होंने कहा कि फुले दंपत्ती चाहते तो आराम से दूसरों की तरह अपनी जिंदगी जी सकते
थे लेकिन वे जनचेतना के लिए अपना समूचा जीवन समर्पित कर दिया। महिला शिक्षा में सावित्रीबाई फुले का योगदानअविस्मरणीय है। प्रो. शुक्ला ने कहा कि हमारे विवि में दोनों महान विभूतियों के नाम से पीठ की स्थापना की गई है। प्रो. शुक्ला ने कहा कि हम शरीर यात्रा की नहीं, विचार यात्रा की बात करते हैं और विचार स्मरण पखवाड़ा के माध्यम से बाबा साहब, महात्मा फुले और सावित्रीबाई के योगदान पर विमर्श का सिलसिला चलेगा। वेबिनार के आरंभ में प्रो. डीके वर्मा ने कहा कि भारत के लोग हिन्दूराष्ट्र के लोग हैं। हमारी सामाजिक, सांस्कृतिक
और भौगोलिक विविधता हमारी पहचान है। उन्होंने नई शिक्षा नीति की चर्चा करते हुए कहा कि शिक्षा नीति-2020 से
क्रांतिकारी परिवर्तन आएगा। शिक्षा की जगह हमे विद्या बोलना चाहिए, क्योंकि
सनातनी भारत में विद्या का ही स्थान था। प्रो. वर्मा ने कहा कि मंत्रालय का नाम परिवर्तित कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया
गया है, जिसे बदलकर विद्या मंत्रालय किया जाना चाहिए। उनका मानना थाकि इस नामकरण के साथ हम अपने लक्ष्य
को प्राप्त कर सकेंगे। वेबीनार में वक्ता के रूप में उपस्थित जम्मू विवि की समाजशास्त्र विभाग की प्रो. आभा
चौहान ने कहा कि आज के विषय के संदर्भ में जब महात्मा फूले का स्मरण करती हूं तो पाती हूं कि राष्ट्र के
सामाजिक उत्थान में उनका योगदान बहुआयामी रहा।